Monday, 4 May 2020

अनपढ़ औरतें

    ज सुबह से ही मौसम बिगड़ रहा था। गीता गांव के हाल-चाल फोन पर ले रही कि मौसम  की मार से पहले खलिहान में पड़ा अनाज घर तक सुरक्षित पहुँचा या नहीं।

पुनीत अख़बार पढ़ रहा था, सासु माँ अंदर रुम में आराम कर रही थी। 

"वह अपने बच्चों की भूख मिटाने के लिए पत्थर उबाल रही थी।"

पुनीत ने विस्फारित नेत्रों से मम्मी से कहा और फिर दूसरा समाचार पढ़ने लगा। 

"अनपढ़ होगी!"

गीता की सास ने कमरे के अंदर से आवाज़ दी। 

"मॉम कहती है माँ कभी अनपढ़ नहीं होती।"

पुनीत ने माँ शब्द को फ़ील करते हुए  गीता का समर्थन किया।

" कीनिया की एक महिला जिसके आठ बच्चे थे वह विधवा थी। लोगों के कपड़े धोकर अपने बच्चों का पेट भरती थी। हाल ही में कोरोना की वजह से काम पर नहीं जा सकती थी। खाने को घर पर कुछ नहीं था,  बच्चों को बहलाने के लिए वह पत्थर उबालने लगी। बच्चों को कुछ संतोष होगा जिसके इंतज़ार में वे सो जाएँगे।"

पुनीत ने अपनी बाल-बुद्धि से यह विचार विचलित मन से अपनी दादी माँ को सुनाया। 

"और पता है, उसकी पड़ोसन ने उसका वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया जिससे कि काफ़ी लोगों ने उनकी मदद भी की।"

पुनीत अपनी दादी माँ को बार-बार समझा रहा था। 

"मॉम आप क्या कहते हो?"

पुनीत ने फिर प्रश्न किया। 

"उसकी पीड़ा को पिरो सकूँ वे  शब्द कहाँ से लाऊँ? "

गीता ने पुनीत को दूध का गिलास थमाते हुए कहा। 

"ये अनपढ़ औरतें भी न कभी पत्थर तो कभी नमक से पेट भर देती हैं अपने बच्चों का।"

गीता की सास पास ही सोफ़े पर बैठते हुए, ऐसी ही एक घटना से इस घटना को जोड़कर समझाती हुई कहती है। 

"पता है मुझे कोई अनपढ़ ही होगी।"

©अनीता सैनी


28 comments:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 04 मई 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. सादर आभार आदरणीया दीदी सांध्य दैनिक में मेरी लघुकथा को स्थान देने हेतु.
      सादर

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    1. सादर आभार आदरणीय सर उत्साहवर्धक समीक्षा हेतु.
      सादर

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  3. माँ अनपढ़ हो या पढ़ीलिखी....भूखे बच्चों के पेट भरने में यदि असमर्थ हो तो उन्हेंं बहलाने के ही जुगत लगायेगी...बहुत ही हृदयस्पर्शी सुन्दर लघुकथा।

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    1. सादर आभार आदरणीया दीदी सुंदर सारगर्भित समीक्षा हेतु.
      आपका स्नेह आशीर्वाद बना रहे.

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  4. उसकी पीड़ा को पिरो सकूँ वे शब्द कहाँ से लाऊँ?....,
    बहुत कम शब्दों में एक माँ की पीड़ा को शब्द देती हृदयस्पर्शी लघुकथा ।

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    1. सादर आभार आदरणीया मीना दीदी उत्साहवर्धक समीक्षा हेतु.
      सादर

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  5. वाह!प्रिय सखी अनीता ,बहुत ही हृदयस्पर्शी रचना ।

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    1. सादर आभार बहना सुंदर समीक्षा हेतु.
      आशीर्वाद बनाये रखे

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  6. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (05 -5 -2020 ) को "कर दिया क्या आपने" (चर्चा अंक 3692) पर भी होगी, आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    ---
    कामिनी सिन्हा

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    1. सादर आभार आदरणीया कामिनी दीदी मंच पर मेरी लघुकथा को स्थान देने हेतु.

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  7. नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 5 मई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. सादर आभार आदरणीय सर मंच पर मेरी लघुकथा को स्थान देने हेतु.
      सादर

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    1. सादर आभार आदरणीया दीदी उत्साहवर्धक समीक्षा हेतु.
      स्नेह आशीर्वाद बनाये रखे.
      सादर

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  9. Replies
    1. सादर आभार आदरणीया दीदी सुंदर समीक्षा हेतु.
      सादर

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  10. माँ सिर्फ़ माँ होती है।
    बेबस हो या सक्षम अक्षर ज्ञान से वंचित हो या डिग्रीधारी माँ की ममता के लिए शब्द सदैव कम पड़ते ह़ै।

    मर्मस्पर्शी लघुकथा अनु।

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    1. सादर आभार प्रिय श्वेता दीदी सही कहा आपने माँ... माँ होती है सब पढ़ सकती है वह... शब्दों से परे भाव को भी..
      स्नेह आशीर्वाद बनाये रखे.
      सादर

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  11. आदरणीया अनीता जी, आपने काम नहीं मिलने के कारण अपने बच्चों के पेट भरने में असफल औरत को पत्थर गरम करते हुए उन्हें भरमाने पर अपनी लघुकथा लिखी है। उनकी ऐसी स्थिति क्यों है, इसपर वातानुकूलित कमरों में पेग को हाथ में लिए बहसें होती रही हैं। परन्तु भूख को भरमाया नहीं जा सकता उसे तो अन्न से ही मिटाया जा सकता है। लघुकथा के मानकों पर सफल है यह कहानी। --ब्रजेन्द्र नाथ

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    1. सादर आभार आदरणीय सर सुंदर सारगर्भित सकारात्मक समीक्षा हेतु. यथार्थ को इंगित करते आपके सार्थक शब्द अंतस की गहराई से विचार करने को विवश करते है.
      आशीर्वाद बनाये रखे 🙏

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  12. मर्मस्पर्शी कथा सच मां अनपढ़ नहीं होती कोई भी मां अनपढ़ नहीं होती अपने बच्चों के दर्द को समझने की विलक्षण क्षमता होती है उनमें वो भूख तो करता मौत को भी छलावा देने की कोशिश करती है आखिरी दम तक ।
    असाधारण लेखन।

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    1. सादर आभार आदरणीया दीदी सकारात्मकता पूर्ण समीक्षा हेतु.बहुत बहुत आभारी हूँ. स्नेह आशीर्वाद बनाएँ रखे.
      सादर

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  13. बेहद मर्मस्पर्शी लघुकथा 👌

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    1. सादर आभार आदरणीय दीदी सुंदर समीक्षा हेतु.
      सादर

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  14. मर्मस्पर्शी भावपूर्ण रचना

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    1. सादर आभार आदरणीय दीदी उत्साहवर्धक समीक्षा हेतु.
      सादर

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