Monday, 8 March 2021

दृष्टिकोण

 


       ममा इसके चेहरे पर स्माइल क्यों नहीं है?” वैभवी ने बेचैन मन से अपनी मम्मी से कहा।

”बनाने वाले ने इसे ऐसा ही बनाया है।” वैभवी की मम्मी ने उससे कहती है। 

”उसने इसे ऐसा क्यों बनाया?”  पेंटिग देखते हुए वैभवी और व्याकुल हो गई।

”यह तो बनाने वाला ही जाने, उसकी पेंटिंग है।” वैभवी की मम्मी ने बहलाते हुए कहा।

”पेंटर को दोनों लड़कियों के चेहरों पर स्माइल बनानी चाहिए थी ना?”

वह एकाग्रचित्त होकर और बारीकी से पेंटिंग को देखने लगी।

”पेंटर जब मिलेगा तब कहूँगी, इसके चेहरे पर भी स्माइल बनाए।” उसकी मम्मी ने झुँझलाकर कहा।

”आपको तो कुछ नहीं पता ममा! इस लड़की की शादी बचपन में हुई थी। 

ऐसी लड़कियाँ कभी स्माइल नहीं करती।"

यह सुनकर वैभवी की माँ अपनी लाड़ली का चेहरा विस्फारित नज़रों से निहारती रह गई!
 
@अनीता सैनी 'दीप्ति'

46 comments:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (०९-०३-२०२१) को 'मील का पत्थर ' (चर्चा अंक- ४,००० ) पर भी होगी।

    आप भी सादर आमंत्रित है।
    --

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  2. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 09 मार्च 2021 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका पाँच लिंकों पर स्थान देने हेतु।
      सादर

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  3. अप्रतिम लेखन अनिता जी।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय दी।

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  4. कितनी गहन बात छोटी सी लघु कथा में ।
    बहुत बढ़िया ।

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    1. दिल से आभार आदरणीय दी जी।
      सादर

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  5. सटीक । थोड़े शब्दों में बङी बात । अभिनंदन ।

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    1. आभारी हूँ आदरणीय नूपुर जी।

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  6. मन को उद्वेलित करते भाव।
    बेहद मर्मस्पर्शी लघुकथा।

    सादर।

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    1. आभारी हूँ आदरणीय श्वेता जी।

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  7. बहुत ही सुन्दर रचना

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    1. आभारी आदरणीय अभिलाषा दी जी।
      सादर

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय तोहितास जी।
      सादर

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  9. हृदयस्पर्शी रचना, साधुवाद सह ।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय शांतनु जी सर ।
      सादर

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  10. हृदय स्पर्शी और प्रभावशाली।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय शास्त्री जी सर।
      सादर

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  11. मर्मस्पर्शी वास्तव में रचना का अंत निशब्द कर गया

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय।

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  12. बाल विवाह पर मासूम का नजरिया।
    बहुत बहुत सुंदर।
    हृदय स्पर्शी लघुकथाकथा।

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    1. आभारी हूँ आदरणीया कुसुम दी जी।
      सृजन सफल हुआ आपकी प्रतिक्रिया मिली।
      सादर

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  13. मन को वेध गई आपकी यह लघुकथा अनीता जी ।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया सर।
      सादर

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  14. निशब्द हूँ ..गंभीर संदेश और बेहद सहजता के साथ । अद्भुत सृजन ।

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    1. दिल से आभार आदरणीय मीना दी।
      सादर

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  15. मर्म तक भेदती लघुकथा।

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    1. दिल से आभार आदरणीय दी।
      सादर

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  16. बाल-विवाह का प्रकोप आज भी है. आज से सौ साल पहले तक तो बच्चियां माँ बन जाती थीं और बहुत सी बाल-वधू तो बाल-विधवा भी हो जाती थीं.

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    1. सादर आभार आदरणीय सर।
      मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
      सादर

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया सर।
      सादर

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  18. छोटी बच्ची की बात से मन सिहर गया. कितनी गंभीर बात कही उसने. सार्थक सृजन के लिए बधाई.

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    1. आभारी हूँ आदरणीय जेन्नी दी जी मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
      सादर

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  19. बच्ची की समझदारी पर बड़े गर्व कर सकते हैं। लेकिन जो माँ-बाप कम उम्र में बेटियों का विवाह करते हैं उन पर कोई गर्व नहीं कर सकता। सार्थक लघुकथा। आपको बधाईयाँ।

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    1. सही कहा आपने...।
      सादर आभार आदरणीय वीरेंद्र जी।
      सादर

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  20. बहुत ही बड़ी बात इस लघु कथा की छोटी सी बच्ची ने कह दिया,मन की बात मन ही कह डालता है , super, super, super, शुभ प्रभात

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    1. दिल से आभार आपका आदरणीया ज्योति जी।
      सृजन सार्थक हूआ आपकी प्रतिक्रिया मिली।
      सादर

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  21. बहुत ही सार्थक एवं सारगर्भित लघुकथा।

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    1. आभारी हूँ आदरणीय सुधा जी।
      सादर

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  22. बेहतरीन कहानी है दिल छू लिया

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया सर।
      सादर

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  23. Replies
    1. सस्नेह आभार आदरणीय दी।
      सादर

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