"लव इज़ लाइफ़ बट माय लाइफ इज़ माय वर्क।”
अनूप का स्टेटस पढ़ते हुए अदिति एक नज़र अनूप पर डालती है। काम का बोझ ज्यों झाँक रहा हो आँखों से और स्टेटस...।
”लाइफ इज़ ब्यूटीफुल बट स्ट्रेस इज़ थॉर्न।”
हल्की बरसात में कॉरिडोर से अपना हाथ बढ़ाते हुए, अदिति कहती है।
"तुम्हारी मुस्कुराहट ही मेरी ज़िंदगी है।”
अनूप एक नजर आदिति पर डालता है फिर फ़ाइल में रो खींचने में व्यस्त हो जाता है वह समझ चुका है कि अदिति ने उसका स्टेटस पढ़ लिया है। कहीं न कहीं उसके शब्दों का दर्द झेल रही।
”घुटनों के बल सीढ़ियाँ चढ़ता अबोध बालक है जीवन।”
आदिति पहेली के सहारे शब्दों के पुल को बाँधने के प्रयास के साथ पति के कंधे पर सर रखते हुए कहती है।
" नज़रिया है अपना-अपना। मुझे लगता है ज़िंदगी उस चिड़िया की तरह है जो मेरी तरह भरी बरसात में अपने पँख झाड़ रही है।"
अनूप फ़ाइल साइड में रखते हुए कंधे पर रखा आदिति का सर सहलाने लगता है।
”मुझे लगता है फ़ाइल में बंद प्रत्यक कारतूस का हिसाब है जिंदगी...।”
अदिति की ज़बान लड़खड़ा जाती है।अनजाने में शब्दों की चोट से एक नासूर रिसने लगता है। वादियों में प्रेम ढूँढ़ने निकला मन झोंके के थपेड़े से सहम जाता है।
@अनीता सैनी 'दीप्ति'