Wednesday, 19 January 2022

दत्तचित्त


              "लव इज़ लाइफ़ बट माय लाइफ इज़ माय वर्क।”

अनूप का स्टेटस पढ़ते हुए अदिति एक नज़र अनूप पर डालती है। काम का बोझ ज्यों झाँक रहा हो आँखों से और स्टेटस...।

”लाइफ इज़ ब्यूटीफुल बट स्ट्रेस इज़ थॉर्न।”

हल्की बरसात में कॉरिडोर से अपना हाथ बढ़ाते हुए, अदिति कहती है।

"तुम्हारी मुस्कुराहट ही मेरी ज़िंदगी है।”

अनूप एक नजर आदिति पर डालता है फिर फ़ाइल में रो खींचने में व्यस्त हो जाता है वह समझ चुका है कि अदिति ने उसका स्टेटस पढ़ लिया है। कहीं न कहीं उसके शब्दों का दर्द झेल रही।

”घुटनों के बल सीढ़ियाँ चढ़ता अबोध बालक है जीवन।”

आदिति पहेली के सहारे शब्दों के पुल को बाँधने के प्रयास के साथ पति के कंधे पर सर रखते हुए कहती है।

" नज़रिया है अपना-अपना। मुझे लगता है ज़िंदगी उस चिड़िया की तरह है जो मेरी तरह भरी बरसात में  अपने पँख झाड़ रही है।"

अनूप फ़ाइल साइड में रखते हुए कंधे पर रखा आदिति का सर सहलाने लगता है।

”मुझे लगता है फ़ाइल में बंद प्रत्यक कारतूस का हिसाब है जिंदगी...।”

अदिति की ज़बान लड़खड़ा जाती है।अनजाने में शब्दों की चोट से एक नासूर रिसने लगता है। वादियों में प्रेम ढूँढ़ने निकला मन झोंके के थपेड़े से सहम जाता है।


@अनीता सैनी 'दीप्ति'

46 comments:

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया आपका।
      सादर

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  2. रहस्यमय!
    संवेदनाओं से भरी गूढ़ भावों की लघुकथा।
    अप्रतिम।

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    1. आभारी हूँ आदरणीय कुसुम दी आपकी प्रतिक्रिया मिली।
      सादर

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  3. भावपूर्ण शब्दों में पिरोई लघुकथा

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  4. गूढ़ भावों से ओतप्रोत खूबसूरत लघुकथा ।

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    1. आभारी हूँ आदरणीय मीना दी।
      सादर स्नेह

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  5. वाह!प्रिय अनीता ,अद्भुत !!

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    1. आभारी हूँ प्रिय शुभा दी जी।
      सादर

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  6. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार २१ जनवरी २०२२ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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    1. आभारी हूँ प्रिय श्वेता दी जी पांच लिंको पर स्थान देने हेतु।
      सादर स्नेह

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  7. पुरुष वास्तविक संसार में जीता है , जबकि स्त्री ज्यादातर कल्पना का संसार बुन लेती है ।
    पुरुष का प्रेम झरने की तरह तेज़ प्रवाह लिए होता है तो नारी का मंथर गति से बहने वाली नदी के समान ।
    पुरुष किसी नारी से प्रेम सम्पूर्ण समर्पण के बाद करता है जबकि नारी प्रेम होने के बाद सम्पूर्ण समर्पण करती है ।
    वैवाहिक जीवन में अधिकतर पुरुष अपने काम के प्रति ज्यादा आसक्त होता है , जबकि स्त्री की दुनिया उसका पति होता है ।
    इस लघुकथा में भी मुझे ऐसा ही कुछ लग रहा है । पति - पत्नी के संवाद को बखूबी लिखा है ।।

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    1. जटिल संवेदना की सूक्ष्म पड़ताल एवं संतुलित स्पष्टीकरण, सरल व्याख्या से । बहुत ही सुन्दर ।

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    2. आभार अमृता जी ।
      बस जो समझ में आया लिखने का प्रयास किया ।
      बाकी तो लिखने वाला ही जाने ।

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    3. आभारी आदरणीय संगीता दी जी व आदरणीय अमृता दी जी आपकी प्रतिक्रिया संबल है मेरा।
      आशीर्वाद बनाए रखें।
      सादर

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    4. ऐसी लाजवाब प्रतिक्रियाएं जीवन में सहस सहजता देती है, बहुत कुछ सिखाती हैं, आदरणीय संगीता दीदी आपकी प्रतिक्रिया बहुत ही सार्थक और प्रशंसनीय है ।

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    5. सही कहा आपने आदरणीय जिज्ञासा दी जी।
      सादर

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  8. नजरियों के द्वन्द्वात्मकता को सुन्दरता से उकेरा है, मर्मस्पर्शी शब्दों से ।

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    1. हार्दिक आभार आदरणीया अमृता दी जी आपने लघुकथा का मर्म स्पष्ट किया।
      बस नजरिया है अपना अपना ज़िंदगी को जीने का उसमें डूबने का।
      सृजन सार्थक हुआ।
      सादर स्नेह

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया सर मनोबल बढ़ाने हेतु।
      सादर

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  10. कम शब्दों में पति पत्नी के प्यार को परिभाषित करती सुंदर लघुकथा।

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    1. हार्दिक आभार ज्योति बहन।
      सादर

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  11. "तुम्हारी मुस्कुराहट ही मेरी ज़िंदगी है।”
    आभार ..
    सादर..

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    1. और मेरी भी 🥰
      आपभी यों ही मुस्कुराते रहें।
      हार्दिक आभार आदरणीय दी।
      सादर

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  12. बेहद हृदयस्पर्शी लघुकथा।

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  13. गहन भाव लिए सुंदर लघुकथा।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया प्रिय पम्मी दी जी।
      सादर

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  14. दार्शनिकता का पुट संजोए कथा अपने भीतर अर्थपूर्ण है। बधाई लेखिका को:)

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    1. आपकी प्रतिक्रिया संबल है आदरणीय दी।
      हार्दिक आभार

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया अनुज।
      सादर

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  16. उस शख्स का क्या करे कोई जो अपनी रोमांटिक बीबी से नहीं, बल्कि अपने ऑफ़िस की फ़ाइल से प्यार करता है.

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    1. आदरणीय गोपेश मोहन जैसवाल जी सर सुप्रभात।
      कुछ नहीं बस छोटी सी पनिशमेंट देते हैं। क्योंकि मुझे अपनी लघुकथा के पात्रों से बड़ा प्रेम रहता है ज्यादा तकलीफ नहीं दे सकती।
      हार्दिक आभार सर।
      आशीर्वाद बनाए रखें।

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  17. Replies
    1. हार्दिक आभार आपका।
      सादर

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  18. भावनाओं से ओतप्रोत बहुत ही मार्मिक व हृदयस्पर्शी लघुकथा

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    1. हार्दिक आभार प्रिय मनीषा जी सृजन सार्थक हुआ।
      सादर स्नेह

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  19. शानदार लघुकथा आदरणीय ।

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    1. बहुत बहुत शुक्रिया सर।
      सादर

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  20. नारी के संवेदनशील मन को पकड़ने की लाजवाब कोशिश । और पुरुष वो तो है ही जन्मजात कर्तव्यनिष्ठ ।.. कम शब्दों में बहुत कुछ कहती लघुकथा । बधाई अनीता जी ।

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    1. तहे दिल से आभार आपका आदरणीया जिज्ञासा दी जी मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
      सादर स्नेह

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  21. वह समझ चुका है कि अदिति ने उसका स्टेटस पढ़ लिया है। कहीं न कहीं उसके शब्दों का दर्द झेल रही।
    शब्दों का दर्द!और शब्दों की चोट!
    संवेदनशील मुद्दे को अद्भुत शब्दों में वयां किया है लघुकथा में...
    लाजवाब।

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    1. हार्दिक आभार आदरणीय सुधा दी जी संबल बढ़ाती प्रतिक्रिया हेतु।
      सादर

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