बर्तनों की हल्की आवाज़ के साथ एक स्वर निश्छलता के कानों में कौंधा।
” निर्भाग्य है तू! यह ले, तेरा श्राद्ध निकाल दिया।” कहते हुए आक्रोशित स्वर में क्रोध ने थाली से एक निवाला निकाला और ग़ुस्साए तेवर लिए थाली से उठ गया।
”मर गई तू हमारे लिए …ये ले…।" मुँह पर कफ़न दे मारा ईर्ष्या ने भी।
"हुआ क्या?" निश्छलता समझ न पाई दोनों के मनोभावों को और वह सकपका गई।
समाज की पीड़ित हवा के साथ पीड़ा से लहूलुहान कफ़न में लिपटी निश्छलता जब दहलीज़ के बाहर कदम रखा तब उसका सामना उल्लाहना से हुआ।
” निश्छल रहने का दंड है यह ! " कहते हुए उल्लाहना खिलखिलाता हुए उसके सामने से गुज़र गया।
@अनीता सैनी 'दीप्ति'
आज भी ऐसी सोच है क्या कर सकते हैं। पर पहाड़ का सीना चीर नदी बन बह निकलना ही तो स्त्रीत्व या संघर्ष है, जिसकी साधना स्त्री करती आ रही है।
ReplyDeleteसाधुवाद, सत्य प्रकाशित करती रचना।
वाह!प्रिय अनीता ,बहुत खूब ! हमारा समाज और उसकी सोच ,कहाँ बदली है अभी ..? हाँ सोच बदलने का दिखावा जरूर किया जाता है ...अंदर से सब खोखला है ।
ReplyDeleteबिम्बों के माध्यम से स्त्री की दशा को व्यक्त किया है ।।
ReplyDeleteये उलाहने ही तो स्त्री की असल पीड़ा हैं । बहुत खूब ।
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 2.6.22 को चर्चा मंच पर चर्चा - 4449 में दिया जाएगा| आपकी उपस्थिति चर्चाकारों का हौसला बढ़ाएगी
ReplyDeleteधन्यवाद
दिलबागसिंह विर्क
स्त्रियों के जीवन की बाधाओं को प्रतीकात्मक शैली में इंगित करती मर्मस्पर्शी लघुकथा ।
ReplyDeleteसामाजिक व्यवस्था में आज भी बहुत जगह नारी पर प्रतिबंध है , आज भी उसकी प्रगति को पुरुषों से होड़ या पुरुषों के क्षेत्र में प्रवेश करना माना जाता है ।
ReplyDeleteआपने प्रतीक बहुत सटीक लिए हैं कौन से शब्द कौनसी मनोवृत्ति में निकलते है का सुंदर प्रयोग।
साधुवाद सुंदर प्रस्तुति के लिए।
अपने पुरुषत्व को सिद्ध करने के लिए स्त्री को सात तालों में बंद रखने वालों को नपुंसक कहना ही उचित होगा.
ReplyDeleteपुरुषों द्वारा ऐसे उद्गार अक्सर कमतरी के भाव के चलते ही कहे जाते हैं...विचारणीय लघु-कथा...
ReplyDeleteआज भी समाज का ये दृश्य देखने में आ जाता है ।स्त्री परक सराहनीय लघुकथा ।
ReplyDeleteअद्भुत बिम्ब।
ReplyDeleteएक जीवन्त रेखाचित्र।
ReplyDeleteमार्मिक!!
ReplyDeleteमार्मिक
ReplyDeleteहृदयस्पर्शी सृजन
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ReplyDeleteआह !
ReplyDeleteवाह!!!
ReplyDeleteकमाल के प्रतीकात्मक बिम्ब
दिल को झकझोरती लाजवाब लघुकथा